Sunday, September 8, 2013

बरसों के बाद कहीं

बरसों के बाद कभी
हमतुम यदि मिलें कहीं
,
देखें कुछ परिचित से
,
लेकिन पहिचानें ना।

याद भी न आये नाम
,
रूप
, रंग, काम, धाम,
सोचें
,
यह सम्मभव है -
पर
, मन में मानें ना।

हो न याद
, एक बार
आया तूफान
, ज्वार
बंद
, मिटे पृष्ठों को -
पढ़ने की ठाने ना।

बातें जो साथ हुई
,
बातों के साथ गयीं
,
आँखें जो मिली रहीं -
उनको भी जानें ना।
                 -- गिरिजाकुमार माथुर

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