Friday, October 21, 2011

लीबिया : मुअम्मर गद्दाफी तानाशाह

इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं कि 42 साल तक लीबिया में शासन करने वाले मुअम्मर गद्दाफी तानाशाह थे, क्योंकि वह खुद यह कहते थे कि उनके देश में लोकतंत्र के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। इस पर भी आश्चर्य नहीं कि अंतिम क्षणों में वह रहम की भीख मांगे रहते और फिर भी अपने ही लोगों द्वारा घेर कर मार डाले गए, क्योंकि ज्यादातर तानाशाहों का अंत इसी तरह होता आया है। यह भी सही है कि गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया में जश्न का माहौल है, लेकिन दुनिया को इस सवाल का जवाब शायद ही मिल सके कि जिन पश्चिमी देशों ने उनका पराभव सुनिश्चित किया वे चार दशकों तक उनका साथ क्यों देते रहे? गद्दाफी के खात्मे के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने खास तौर पर यह रेखांकित किया है कि अब इस देश में एक नए युग की शुरुआत होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने गद्दाफी के खात्मे के लिए नाटो की अगुआई में चले अभियान पर गर्व प्रकट किया है, लेकिन दुनिया को यह स्मरण है कि मुश्किल से दो साल पहले वह एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में गद्दाफी से हाथ मिला रहे थे। यदि पिछले 42 वर्षो के एक छोटे से कालखंड को छोड़ दिया जाए तो गद्दाफी के निरंकुश शासन वाले लीबिया के अमेरिका और यूरोप से मधुर संबंध बने रहे।

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